Garud Puran Story: कहते हैं घर में बेटे भाग्य से और बेटियां सौभाग्य से पैदा होती हैं। बेटिया हर किसी के नसीब में नहीं होती। कहा जाता है, कि भगवान बेटियों का जनम उन्हीं के घरों में करवाते हैं, जिनमें बेटियों का पालन-पोषण करने की क्षमता होती है। जिनके घरों में बेटियां होती है, वहां के आंगन में हमेशा पायल की तरह खुशियों की छनछन भी रहती है।
बेटियों के जन्म से जुड़ी ये बात खुद भगवान भी कहते हैं। गरुड़ पुराण में भी इन बातों का उल्लेख है। एक कथा में भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि सौभाग्यशालियों के घर में ही बेटियों का जन्म होता है। महाभारत के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने सारथी बन कर कौरवों की सेना को हराने में मदद की थी। उस दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन के कई सवालों को जवाब देकर उसका मार्गदर्शन भी किया था।
एक प्रचलित कथा के अनुसार बेटियों के जन्म को लेकर भी अर्जुन के पूछे गये सवाल का भगवान श्री कृष्ण ने जवाब दिया था। वह चर्चा जन्म-मरण के बारे में चल रही थी। अर्जुन ने श्री कृष्ण से पूछा कि कन्या संतान की प्राप्ति किन माता-पिता को होती है या ऐसे कौन से कर्म हैं, जिनके फलस्वरूप घर में बेटी का जन्म होता है? इसके उत्तर में श्री कृष्ण ने कहा कि भाग्यवान लोगों के घरों में बेटे का जन्म होता है, जबकि बेटियां तो सौभाग्यशालियों के घर में जन्म लेती हैं।
घर में बेटियों का जन्म उश घर को लोगों के अच्छे कर्मों का फल है। भगवान भी उन्हीं घरों में बेटियां देते हैं, जहां के लोग उसका पालन-पोषण का भार उठा सके। यहां भार से अर्थ बेटी की परवरिश पर पैसे खर्च करने से नहीं है, बल्कि दिल से उसे प्यार देने से है। अपितु, कुछ लोग धनवान तो होते हैं, लेकिन घर की बेटियों को उनका मान-सम्मान नहीं दे पाते या अधिकार से वंचित रखते हैं।
श्री कृष्ण का कहना है कि बेटियां ही इश सृष्टि की जननी हैं। अगर बेटियां ही नहीं होंगी, तो सृष्टि का अंत हो जायेगा। बेटों की तुलना में बेटियां माता-पिता के प्रति अधिक स्नेह रखती हैं। मायके में तो वे अपनी जिम्मेदारी निभाती ही है, शादी के बाद भी अपने माता-पिता का ख्याल रखती है। बेटी सिर्फ बेटी के रूप में ही नहीं बल्कि, बहन, पत्नी और मां के रूप में भी अपना स्नेह बांटती है।